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Showing posts from January 17, 2016

व. पु. काळे यांचे 29 विचार वेळ मिळाला तर जरुर वाचा

व. पु. काळे यांचे 29 विचार वेळ मिळाला तर जरुर वाचा 1)मैत्रीचे धागे कोळ्यापेक्षाही बारीक असतात, पण लोखंडाच्या तारेपेक्षाही मजबूत असतात..! तुटले तर श्वासानेही तुटतील, नाहीतर वज्राघातेनेही तुटणार नाहीत..!! ------------------------------------ 2)संवाद दोनच माणसांचा होतो, त्याच्यात तिसरा माणूस आला की त्या गप्पा होतात..!! ------------------------------------- 3)कोमलतेत प्रचंड सामर्थ्य असतं  कोमलता म्हणजे दुर्बलता नव्हे ..! म्हणूनच खडक झिजतात प्रवाह रुंदावत जातो..!! ------------------------------------ 4)जाळायला काही नसलं तर पेटलेली  काडीसुद्धा आपोआप विझते..!! ------------------------------------ 5)खर्च झाल्याच दु:ख नसतं, हिशोब  लागला नाही की त्रास होतो..!! ------------------------------------ 6)प्रॉब्लेम्स नसतात कुणाला..? ते शेवटपर्य असतात..! पण प्रत्येक प्राॅब्लेमला उत्तर हे असतंच. ते सोडवायला कधी वेळ हवा असतो, कधी पैसा तर कधी माणस..!या तिन्ही गोष्टी पलीकडचा प्राॅब्लेम अस्तित्वातच नसतो..!! ------------------------------------- 7)आठवणी या मुंग्यांच्या वार...

Rohit Vemula suicide and beyond...

दलित छात्रों के माता पिता और अभिभावक सावधान ...कृपया ध्यान रखे की जिस बेटे को आपने पढाई के लिए भेजा है कही वो हिन्दू विरोधी तत्वों के हाथ का खिलौना तो नही बन रहा है .... रोहित वेमुला आत्महत्या केस दलित छात्रों के साथ हिन्दू विरोधी देश विरोधी तत्वों द्वारा की जा रही राजनितिक रोटी किस तरह सेकी जा रही है उसका जीता जागता उदाहरन है ... रोहित वेमुला हैदराबाद युनिवर्सिटी में पढ़ता था .. जहाँ वामपंथी और मुस्लिम नेताओ ने दलित छात्रों को अपनी राजनितिक रोटी सेकने का एक माध्यम बना रखा था .. रोहित वेमुला हैदराबाद युनिवर्सिटी में गौमांस भोज आयोजन करने के सबसे आगे था ..जबकि गौमांस भोज के पीछे दिमाग ओबैसी का था .. फिर इसने मुंबई ब्लास्ट के खूंखार आतंकी याकूब मेमन को फांसी देने का खूब जोर शोर से विरोध किया .. और फांसी के बाद इसने अपने होस्टल के कमरे को "याकूब मेमोरियल हाल" बनाकर पेश किया .. और लोगो को याकूब को श्रधान्जली देने के लिए अपने कमरे में बुलाता था ...इसके सन्गठन "अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन" ने मुस्लिम संगठनो के साथ मिलकर याकूब की फांसी के विरोध में एक डाक्यूमेंट्री ...

पत्रकारितेवर अमीट ठसा उमटवणारा अभ्यासू संपादक गमावला

पत्रकारितेवर अमीट ठसा उमटवणारा अभ्यासू संपादक गमावला - दयानन्द नेने ----------------------------------------------------------------------------------------------------------   ज्येष्ठ पत्रकार, विचारवंत, संपादक अशा विविध भूमिकेतून अरूण टिकेकर यांनी महाराष्ट्राच्या पत्रकारितेवर आपला अमीट ठसा उमटवला असून त्यांच्या निधनानं महाराष्ट्रानं लोकशाहीच्या चौथ्या स्तंभाला अधिक समृद्ध करणारा संपादक, इतिहासाचे पैलू उलगडून दाखवणारा एक अभ्यासक गमावला आहे. इंग्रजी साहित्याचे आणि महाराष्ट्राच्या इतिहासाचे अभ्यासक म्हणूनही त्यांच्याकडे आदराने पाहिले जायचे.  त्यांनी काही व्यक्तीचित्रे आणि मुंबई विद्यापीठाचा इतिहासही लेखनीबद्ध केला होता. त्यांचा दै. लोकसत्ता मधील तारतम्य हा स्तंभ खुप गाजला होता. त्यांनी विपूल लेखन ही केले.  विवेकी तसेच आपल्या लिखाणातून सडेतोड भाष्य करणाऱ्या या संपादकाने पत्रकारितेची मूल्य आयुष्यभर जपली होती . ..

How USA manipulates World markets

How US is manipulating world markets and economies - article by John Reeder, who was in senate with Obama during his first term . Heading towards World War III After World War II people around the world thought that it was last major war on Earth. This does not look appearing now. In 1944 major countries of world sat in New Hampshire(Bretton wood conference) to declare Dollar as a world currency backed by gold(Gold Standard). US had reserve gold to print paper money. US started printing money and was enjoying tFrom 1945 to 1965 everything was fine but in 1965 US had war with Vietnam and in the effect of war the US economy started to tumble. Until 1970 US was printing more and more dollar to overcome financial crisis. This made countries to start disbelieving in dollar and ask for gold in return of dollar.US had printed more dollar than gold it had. Redeem of gold would have destroy US economy. Therefore, US president Nixon ended gold back dollar and started printing more and ...

Economic Emergency in France

French president declares economic emergency French President Francois Hollande has declared what he called "a state of economic emergency" and says it's time to redefine France's economic and social model. Hollande laid out a series of proposed economic measures Monday in an annual speech to business leaders to boost long-stagnant French growth and reduce chronic unemployment. The first measures he proposed are relatively modest, and he said they would not "put into question" the 35-hour workweek. He did not seek to assume any new emergency powers. Hollande stressed the urgency of updating France's labor-friendly business model in a fast-moving, increasingly globalized and online economy. The measures included a loosening of some worker-friendly measures to encourage companies to hire, and new training for half a million workers.