*महाराष्ट्र के भीमा कोरी गाँव (पुणे) में भड़के दंगे*

❗❗ *समझ की बात*❗❗
⚡एक दलित रैली में गया, सत्य परिस्थिति से अवगत भी हुआ .
अंग्रेजों की महार बटालियन और पेशवाओं के बीच महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुए युद्ध के 200 साल पूर्ण होने के उपलक्ष पर कल पुणे में दलित रैली का आयोजन हुआ जिसका नाम था 'एल्गार परिषद्'.
क्यूंकि महार जाती संविधान के मुताबिक दलित श्रेणी में आती है इसलिए अम्बेडकरवादी इस युद्ध को उच्च जाती पर दलितों की विजय के रूप में देखती है. (उनके मुताबिक केवल 500 महार ने 25000 पेशवाओं को मार दिया. हालांकि संख्या पर इतिहासकारों का एक मत नहीं है)
इस रैली में प्रकाश आंबेडकर, जिग्नेश मेवानी, उमर खालिद, राधिका वेमुला, सोनी सोरी, विनय रतन सिंह (भीम आर्मी,उoप्रo), मौलाना अब्दुल हामिद अज़हरी (राष्ट्रीय सचिव, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) आदि लोग आये थे.
कुछ 20-25 संघठनों के नामों की एक लिस्ट पढ़ी गयी जिन्होंने इस रैली का समर्थन किया. उनमे -
1) पोपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI)
2) मूल निवासी मुस्लिम मंच
3) छत्रपति शिवाजी मुस्लिम ब्रिगेड
4) दलित ऐलम (ऐलम तमिल शब्द है जिसका अर्थ होता है देश)
ऐसे अनेक संदेहजनक संगठनों के नाम सुनने को मिले.
रैली की शुरुआत ही दलितों पे अत्याचारों की दास्तान से शुरू हुई. एक नैरेटिव बनाया गया की आज भी दलितों पे अत्याचार होते है और ये अत्याचार करने वाले भाजपा-आरएसएस के लोग है.
उनके मुताबिक भाजपा और संघ के लोग ही आज के नए पेशवा है और इनका वही हाल किया जाना चाहिए जो महार बटालियन ने 200 साल पहले पेशवाओं का किया.
कहने को तो वो बार बार भाजपा, संघ, मनुवादी और ब्राम्हणों को ताने मार रहे थे, लेकिन उनकी भाषा शैली से जाना की उनका टारगेट पूरा हिन्दू समाज है.
स्टेज पर 4 मटके एक के ऊपर एक रखे थे. क्रम से उनपर लिखा था- ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र.
रैली का उदघाटन राधिका वेमुला के हाथों हुआ और उद्घाटन का तरीका था हिन्दू समाज को जाति व्यवस्था के नाम पर कोसना और फिर उन चारो मटकों को फोड़ना.
रैली में सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर स्ट्रीट प्ले, ग्रुप सोंग और हिप हॉप रैप सोंग का भी आयोजन था.
स्ट्रीट प्ले में वही घिसापिटा दलित अत्याचार दिखाया और एक भगवा धोती पहने ब्राम्हण दिखाया जिसे नाटक के अंत में एक दलित बच्चा मार डालता है.
(अपने कथन में भीम आर्मी के विनय रतन सिंग ने कहा की इस नाटक को देखने के बाद उसका मन हुआ की भीमा-कोरेगांव दोबारा दोहराया जाए)
रैली में यदि किसी हिन्दू का सम्मानपूर्वक नाम लिया गया तो केवल शिवाजी महाराज थे,(यह उनकी मज़बूरी है क्यूंकि उन्हें पता है की महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज का अपमान करना बहुत महंगा पड़ेगा)
मैंने कुल 6 घंटे उस रैली में बिताये. राधिका वेमुला, उमर खालिद और जिग्नेश मेवानी का भाषण सुना. सभा का मैदान पूरा भरा हुआ था. लोगो में बहुत उत्साह देखने को मिल रहा था.जब जब उच्च जाती को मनुवाद और ब्राम्हणवाद के नाम पर ताने मारे जाते, लोग तालिया बजाते.
जिग्नेश मेवानी का भाषण तो स्फोटक था. मेरे अगल बगल के लोग कह रहे थे की समाज (दलित समाज) को ऐसे ही नेताओं की जरुरत है.
उमर खालिद को दलित-मुस्लिम दोस्ती के लिए लाया गया था. उसका काम था दलितों को समझाना की मुसलमान भी दलितों की तरह सताए गए है और उन्हें बदनाम किया जाता है. दलितों और मुस्लिमों का कॉमन दुश्मन भाजपा और संघ है. बिच बिच में प्रकाश आंबेडकर भी माइक हाथ में लेकर अपनी आक्रामकता दिखा रहा था.
रैप सोंग गाने वालों में एक गायक मुस्लिम था. उसने 'लव जिहाद' के ऊपर एक रैप सोंग गाना शुरू किया तब मेरे सब्र का बाण टूट गया और मैं रैली छोड़कर निकल आया.
कुल मिलकर ये देखने को मिला-
1) दलित समाज को हिन्दुओं के खिलाफ एकजुट किया जा रहा है.
2) जिहादी तत्व और कम्युनिस्ट मिलकर दलितों की मदद कर रहे है.
3) दलित अत्याचार का नाम लेकर कथित दलितों को भड़काना बहुत आसान है.
आंबेडकरवादियों की एकता और संघठन को देखकर विचार आया की पिछले 3.5 साल में भाजपा और संघ ने हिन्दुओं को संगठित करने का प्रयास भी नहीं किया. फिर कैसे मुकाबला करेंगे हम इस हिन्दू-विरोधी मोर्चे से ?
2014 में जो हिन्दू एक हुए थे वो भाजपा और संघ के कारण नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के कारण हुए थे. तब हमारी किस्मत साथ दे गयी.
लेकिन इन 3.5 सालों में भीम-मीम मोर्चे ने अपनी strategy सुधारली है.
किन्तु हम हिन्दू अभी भी सिर्फ यूनिटी की ही बाते कर रहे है. संगठन तो दूर की बात है. गाली नहीं दू भाजपा और संघ को तो क्या करू? 2014 में समर्थन किया, इसलिए नहीं की वे मुसलमानों के वोट के पीछे भागे.
अभी भी मौका है. भाजपा की जिम्मेदारी है की हिन्दुओं को संघठित करें. (ये काम भाजपा बेहतर कर सकती है क्यूंकि सरकार उनकी है. भाजपा अगला चुनाव हारी या गठबंधन सरकार बनी तो भारत तो doomed है. और इसके लिए मैं मोदी और भाजपा को ही जिम्मेदार मानूगां , क्योंकि राष्ट्रवाद हो या हिंदुत्व दोनो एक दूसरे के पूर्वक हैं। और दोनों की रक्षा का प्रण भाजपा ने किया है ..

*राहुल गांधी द्वारा , BJP व Rss को फांसीवादी व दलित विरोधी बताना* ..
गुजरात में दलित नेता के रुप में उभरे जिग्नेश मेवाणी व
*JNU में कश्मीर के अलगाववादी फंड से पोषित भारत विरोधी नारा लगाने वाला उमर खालिद का *भीमा कोरीगांव* में भड़काऊ व सवर्ण विरोधी भाषण के बाद उपजे दंगे के बाद '...
यह बात सत्य की ओर इशारा करती है .. कि इस सांप्रदायिक  दंगे में कांग्रेस अपने षडयंत्र  में सफल होती नजर आ रही है..
अर्थात *राहुल गांधी फिर वोट बैंक के खातिर देश को जातियता की ओर ले जाकर हिंदूसमाज में जहर घोलने का कार्य बखूबी कर रहे हैं.*
  जिसे सही प्रकार से हमें समझना होगा❗❗❗🙏🏻
⚡- संजय ब. प्रखर , संपादक हिंदू वॉइस (मुंबई)

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